The 5-Second Trick For hanuman chalisa
The 5-Second Trick For hanuman chalisa
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Boosts Self-assurance: Lord Hanuman symbolizes energy and bravery, and worshipping him can Enhance self esteem and fortitude in experiencing troubles.
बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें
US president Barack Obama had a practice of carrying with him a couple of modest items presented to him by individuals he had achieved. The merchandise involved a small figurine of Hanuman.[151][152]
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥ आपन तेज सह्मारो आपै ।
व्याख्या – सामान्यतः जब किसी से कोई कार्य सिद्ध करना हो तो उसके सुपरिचित, इष्ट अथवा पूज्य का नाम लेकर उससे मिलने पर कार्य की सिद्धि होने में देर नहीं लगती। अतः यहाँ श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये भगवान श्री राम, माता अंजनी तथा पिता पवनदेव का नाम लिया गया।
[Maha=terrific;Beera=Brave; Vikram=excellent deeds; bajra=diamond; ang=physique parts; kumati=lousy intellect; nivara=get rid of, clean, damage; sumati=fantastic intelligence; ke=of; sangi=companion ]
Completely conscious of the deficiency of my intelligence, I concentrate my focus on Pavan more info Kumar and humbly request toughness, intelligence, and legitimate awareness to relieve me of all blemishes producing suffering.
भावार्थ– आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया। इस कार्य से प्रसन्न होकर भगवान् श्री राम ने आपको हृदय से लगा लिया।
BhīmaBhīmaFrightening rūpaRūpaForm / overall body / form DhariDhariAssuming asuraAsuraDemon samhāreSamhāreDestroy / eliminate
भावार्थ – आपकी इस महिमा को जान लेने के बाद कोई भी प्राणी किसी अन्य देवता को हृदय में धारण न करते हुए भी आपकी सेवा से ही जीवन का सभी सुख प्राप्त कर लेता है।
हनुमान चालीसा, लाभ, पढ़ने का सही समय, क्यों पढ़ें?
व्याख्या – संसार में मनुष्य के लिये चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। भगवान के दरबार में बड़ी भीड़ न हो इसके लिये भक्तों के तीन पुरुषार्थ को हनुमान जी द्वार पर ही पूरा कर देते हैं। अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति के अधिकारी श्री हनुमन्तलाल जी की अनुमति से भगवान के सान्निध्य पाते हैं।
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कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥ ॥दोहा॥ पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप ।